जय हो जय श्री भागवता - Jay Ho Jay Shree Bhagwata Aarti Lyrics

जय हो जय श्री भागवता | आरती करू तुज भगवंता || - Jay Ho Jay Shri Bhagavata Aarti Lyrics

 0  15600
जय हो जय श्री भागवता - Jay Ho Jay Shree Bhagwata Aarti Lyrics

जय हो जय श्री भागवता | आरती करू तुज भगवंता ||

श्री शुक मुनीने | परम भक्तीने | नाना परीने | गाईयेले ज्या हरि चरिता ||१||

वेद तरूचे मधुर फळ | स्वादु रसे जे सोज्वळ |
आत्माराम मुनी अचल | सेवुनी झाले जन सुफळ |
पाहा पर्वणी आणि | आली अवनी | हि अघ हरणी |
भवजल तरणी | ती पतिता ||२||

येथे व्यासांची वाणी | सार्थक हरि गुण गाउनी |
शास्त्र पुराणी मुकुटमणी | परम प्रेमामृत जननी |
सहज सेविता | भाविक भक्ता | उदार दाता |
मोक्ष तत्वता | दे हाता ||३||

गमते जणू मानस तीर्थ | व्दादश सोपाने युक्त |
निर्मळ भक्ती जले भरीत | विहरे हरि हंसची चित्त |
लोक सुकमळे | संत व्दिज कुळे | सेउनी रमले |
भान हरपले | रस पिता ||४||

अपार महिमा ग्रंथांचा | वदवेना कोणा साचा |
प्राणची किर्तनकारांचा | मेवा कवीवर संतांचा |
जणू बोधाचा | स्वयं प्रज्ञेचा | व्दादश कळीचा |
रवी अंतरीचा | तम हरता ||५||

ग्रंथ नोव्हे हा श्री कृष्ण | गीते वेधी मन पूर्ण |
अनन्य होता या शरण | खचित टळे जन्म मरण |
त्रिताप जाती | चिर ये शांती | नाथ हि वदती |
कृष्ण पदी ठेऊ माथा ||६||